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गरीब का दर्द

awaaz
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सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसका जवान बेटा बीमारी से तड़प रहा खाट पर,
क्यों नहीं बोलते हम उस माँ के अहसास पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसकी बेटी अविवाहित खड़ी द्धार पर,
क्यों नहीं लिखते हम उस बाप की मज़बूरी पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसकी बहन जलाई जा रही दहेज के आभाव पर,
क्यों नहीं ध्यान देते हम उस भाई की बेबसी पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसकी भूख बन कहर टूट रही बचपन पर,
क्यों नहीं हाथ रखते हम उस मासूम के सिर पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसका बोझ पत्थर बन ग़िर गया छोटे-छोटे सपनो पर,
क्यों नहीं देते सात्वना हम उस दिल के दर्द पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसके हाथ ह्ठोड़े बन कर पड़ते पत्थरों पर,
क्यों नही महरम लगते हम उस मंजदूर के छालो पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसका अधनगा बदन झूलज रहा धुप रूपी आग पर,
क्यों नही करते साया हम उस राहगीर राह पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसकी फटी चादर और फट जाती है ठडं के प्रहार पर,
क्यों नहीं गर्महाट करते हम उस भिखारी के हाड़-मांस पर
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसकी झोपड़ी गिरने वाली है बारिस के आगाज़ पर,
क्यों नहीं देते सहारा हम उस मजबूर के आपात काल पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसका रोटी छीनी जा रही विकास के नाम पर,
क्यों नहीं साथ देते हम उस पर हो रहे भ्रष्टाचार पर,
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसका रोम-रोम रो रहा महगाई की मार पर,
क्यों नहीं करते घात हम उस बेबस के आघात पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसके अधिकार न्योछावर का दिए जाते किसी की अभिमान पर,
क्यों नहीं पूछते सवाल हम उस कमजोर पर हो रहे अन्याय पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
जिसकी गरीबी प्रश्न चिन्ह लगा रही हमारे सभ्य समाज पर,
क्यों नहीं रोते साथ हम उस गरीब इन्सान की आहो पर.
सुंदरता पर गीत लिखे,गजल लिखी प्रेम पर,
न जाने क्यों सुनी हो जाये लेखनी गरीबो के दर्द पर.
अब तो कुछ बोलो इन बेबसों पर,
अब तो कुछ लिखो इन सुनी निगाहों पर.
अब तो कुछ ध्यान इन गरीबो के दर्द पर,
अब तो कुछ रोलो इन दर्द भरी आहो पर.

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