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बाल-श्रमिक का सफ़र

awaaz
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नन्हे-नन्हे हाथो में क्यों दे दिये हमने खून भरे छाले.
बड़ी-बड़ी आखों में क्यों भर दिये हमने आसु के धारे.
प्यारे -प्यारे होठों पर क्यों लगा दिये हमने खामोशी की ताले.
नाजुक-नाजुक कंधो पर क्यों डाल दिये हमने जिम्मेदारी के बोझे.
मासूम-मासूम चेहरों पर क्यों दे दिये हमने बेबसी के साये.
कोमल-कोमल दिलो में क्यों दे दिये हमने दर्द की आहे.
बाल-श्रमिक बना उन से क्यों छीन ली हमने बचपन की बाहे.
भोले-भोले बच्चो को क्यों डाल दिया हमने श्रम की राहे
बाल-श्रमिक प्रथा को क्या आगे बढाएगे हम?
बचपन छीन क्या पायेगे हम?
देश की बर्बादी में क्या हाथ बटाना चाहेगे हम?

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