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मेरी माँ

awaaz
awaaz
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क्यों नहीं सुनाई देती मेरी चीख तुझे माँ,
जब समाई हूँ तुझ मे ही माँ.
क्यों हत्या करना चाहती हों मेरी माँ,
जब तेरा ही अशं हूँ माँ.
क्यों दे रही हों इतना दर्द मुझे माँ,
जब तुने अपने खून से सीचा है मुझे माँ.
क्यों करती हों अलग खुद से माँ,
जब तेरी ही परछाई हूँ में माँ.
क्यों मानती हों मुझे बोझ माँ,
जब तुम हों मेरी जैसी माँ.
क्यों जन्म नहीं देती मुझे माँ,
जब तुम को भी जन्म दिया था किसी ने माँ.

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